इसके ठीक पहले का लेख देखें।। (मुस्लिम की असलियत)

“मुस्लिम की असलियत” लेख से प्रश्न और उसके जबाब …..

1. इस्लाम में बोलते है की इस्लाम सनातन धर्म है और बहुत पुराना है ? और अल्लाह कोन था ? कलमा में क्या है ?

# भाई आसान सबाल का आसान उत्तर है की सनातन धर्म सम्पूर्ण संसार में था और लोगो का विश्वास धर्म पर बहुत गहरा था , मुहम्मद ने जब सनातन धर्म के अंदर ही अपने धर्म का प्रचार किया था तो लोगो ने विरोध नहीं किया था ..लेकिन जब उसने सनातन धर्म का विरोध किया तो उसको मक्का छोडना पड़ा था … मुहम्मद कैसा भी था लेकिन देश भक्त था बो चाहता था जैसे पूरब का देश (भारत) का धर्म सम्पूर्ण संसार में है और सब उसको सम्मान देते है वैसे ही बो अरब के लिए चाहता था …. लेकिन जब उसको अपने ही शहर से निकला गया तो बो समझ गया की सनातन धर्म को कोई खतम नहीं कर सकता है लेकिन बो इसका रूप बदल सकता है …जिससे लोगो में विद्रोह का डर भी नहीं रहेगा … जब उसने काबा को जीता और उसकी सारी ३६० मुर्तिया और शिवलिंग तोडा … उसको कुछ याद आया और उसने कुछ नीचे के भाग(शक्ति) को चांदी में करके काबा की दीवार से लगा दिया और अपनी गलती के लिए पत्थर को चूमा (क्युकि उसका परिबार कई पीडीयो से इसकी रक्षा और पूजा करता आ रहा था ) और बोला तो केबल पत्थर है और कुछ और नहीं …….

इस्लाम के बारे में 1372 साल पहले अस्तित्व में आया था. यह सर्वविदित है कि 7500 साल पहले से अधिक, महाभारत युद्ध के समय में, कुरूस दुनिया शासन. कि परिवार के घरानों के वारिस के विभिन्न क्षेत्रों दिलाई. पैगंबर मोहम्मद खुद को और अपने परिवार के वैदिक संस्कृति के अनुयायियों थे. विश्वकोश इस्लामिया के रूप में बहुत मानते हैं, जब यह कहते हैं: “के मोहम्मद दादा और चाचा जो 360 मूर्तियों स्थित काबा मंदिर के वंशानुगत याजक थे!”

(ये मेरे एक मुस्लिम मित्र ने बताया था ….. की …

“काबा” में जो ३६० बुत रखे थे वो किसी तुफ़ान में नही टुटे थे बल्कि उनको “मक्का फ़तह” के वक्त हुज़ुर सल्लाहो अलैहि वसल्लम ने अपनी छ्डी से तोडा था…हर बुत को तोड्ते जा रहे थे और कुरआन की आयत पढते जा रहे थे सुरह बनी इसराईल सु.१७ : आ. ८१ “और तु कह कि अल्लाह की तरफ़ से हक आ चुका है और झुठ नाबूद हो चुका है क्यौंकि झुठ बर्बाद होने वाला है….. )

तो उसने ये बोलना शुरू किया की अल्लाह का कोई आकार नहीं है बो निराकार है …जो की सनातन धर्म का ही एक भाग है (वेद से) …

• अल्लाह कोन था ?

मोहम्मद का जन्म हुआ Qurayshi जनजाति विशेष रूप से अल्लाह (पार्वती ) और चंद्रमा भगवान (शिव)की तीन बच्चों (त्रिदेवी – काली(७) , गोरी (दुर्गा ८) , सरस्वती (ज्ञान की देवी) या कात्यानी (सिद्धि की देवी) को समर्पित किया गया था. इसलिए जब मुहम्मद अपने ही देवी धर्म बनाने का फैसला किया, और ७८६ (जिससे ओम भी बनता है)

चुकी मुहम्मद एक लुटेरा था इस कारण बो अल्लाह को मानता था केबल (जैसे डाकू माँ काली की पूजा करते है ) कारण था की उसने ये रामायण की कथा सुन ली थी जिस कारण बो भगवान शिव की पूजा से बच कर शक्ति की पूजा करता था …. क्युकि माँ पार्वती ने ही राजा इल को वरदान दिया था और शिव के कारण ही समस्या हुयी टी ऐसा शयद बो सोचता था … इस लिए बो अल्लाह (पार्वती) के निर्गुण मानता था … मुहम्मद से भारत का नाम धर्म से हटाने के लिए हिन्दू देवी देवताओ को इस्लाम के नवी और पैगम्बर बोलना शुरु कर दिया और सनातन धर्म से उल्टा काम करना … जैसे काबा के ७ चक्कर (उलटे ), आदि जिससे उसको जनता से कोई परेशनी नहीं हुयी जिससे हुयी उसको उसने खत्म कर दिया …

• दिन की जगह रात में पूजा .?..

क्युकि भगवान शिव और शक्ति की पूजा रात्रि में ही होती है और सनातन धर्म का नाम इस्लाम रख दिया कुछ समय बाद जब बहुत कुछ उसके हाथो में आ गया ….

• कलमा में क्या है ?

ला इलाहा इल्लल्लाह, मुहम्मद उर-रसूलुल्लाह इस कलमे का अर्थ मुहम्मद ने बताया है की ईश्वर एक है और मुहम्मद उसके पैगम्बर है … अब जब की सब जानते है की इला और इल एक थे , जिनकी पूजा होती थी और अल्लाह (पार्वती शक्ति ) थी ..और मुहम्मद शक्ति मत को मानने और फ़ैलाने वाले ,

2. इस्लाम के आदम और ईव कोन कोन थे ?

# इस कथा के अनुसार राजा इल की आदम था और बो ही ईव … क्युकि आदम से ही ईव पैदा हुयी ऐसा इस्लाम और ईसाई मत है …और बाद में आदम और ईव (राजा इल ) को अपना देश छोडना देना ..इस मत को सिद्ध करता है

3. इस्लाम में हरा रंग क्यों ? चाँद और तारा क्यों ?

# इस्लाम में अपने पूर्वजो को पूजता है ये जग जाहिर है … हिन्दुओ में सब जानते है की नव ग्रह ने बुध एक ग्रह है और बो स्याम वर्ण और हरा रंग पहनते है ज्ञान के देवता कहलाते है .. लकिन उनके जन्म पर कुछ अजीब किस्सा है जिससे कुछ मुस्लिम हिन्दू धर्म को बदनाम करते है जब की ये इसके ही पूर्वजो की कहानी है … चंदमा के द्वारा देवताओ के गुरु ब्रस्पति की पत्नी तारा के संयोग से उत्पन्न हुए थे जिसके कारण आज भी मुसलमान चाँद तारा को देख कर अपना रोजा खोते है और ईद मानते है .. साथ ही अपने झंडो और धार्मिक स्थान में प्रयोग करते है

4. क्यों शेख लोग ओरत और मर्द दोनों को पसंद करते है ? क्यों शेख स्त्री जैसे बोलते और रहते है ?

# जैसा की इस कथा से जाहिर है की भगवान शिव ने उस क्षेत्र को स्त्री लिंग में बदल दिया था … ये बाद मे शुक्राचार्य(दत्यो के गुरु) जी के आने के बाद सब सही हुआ था अन्यथा तो सब स्त्री में था जिस कारण सभी में स्त्री अंश रह गया है

5. क्यों किन्नर अधिकतर मुस्लमान होते है ?

# कथा के अनुसार किन्नर की उत्पत्ति राजा इल के सेवको का स्त्री में हो जाने के कारण हुयी ..जिनको बुध ने उसी क्षेत्र (पर्वत के पास ) रहने को बोला था

भाइयो ये सत्य मैंने किसी धर्म का मजाक उड़ने के लिए नहीं बताया है .. मैंने केबल सत्य को सामने लाना चाहता हू ..आज हमारे हिन्दू समाज में ही बहुत से लोग राम और कृष्ण के साथ साथ सम्पूर्ण सनातन धर्म को बदनाम करने की सोचते है … इस कारण इस ग्रंथो को और राम , कृष्ण को कल्पनिक बता कर या कभी .. सत्य का मजाक उड़ा कर सत्य को छिपाने की कोशिस करते है लेकिन जो सत्य है तो सूरज की तरह है जो बदलो से कुछ समय के लिए कुछ लोगो से छिप सकता है सब से नहीं और नहीं ज्यादा देर तक … संतान धर्म तो उस गंगा , यमुना की तरह है जो निरंतर बहता रहत है ..और लोगो को सही राह दिखता है ..जो निर्मल और पवित्र है … जिसमे सादा ही परिवर्तन ..समय के अनुसार होते रहे है … जो वैज्ञानिक और अधात्मिक दोनों रूपों ने सिद्ध है … यहाँ मैंने एक कथा बुध के जन्म की सुनायी है जो पुराणों से है लेकिन इसका अर्थ भी कुछ और है।

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अल्लाह के नाम शिकायती ईमेल

अल्लाह मियाँ…. अस्सलामु अलैक,

सबसे पहले तो हम… आपसे इस बेअदबी के लिए माफ़ी माँगते  हैं कि….  हमने रिवाज के खिलाफ आपको “अस्सलामु अलैकुमالسلام عليكم ” की  जगह अस्सलामु अलैकالسلام عليك” कहा है…. क्योंकि, हमें आपके रसूल ने ही कहा था कि… अल्लाह एक है. ..और,  अगर हम “अलैकुम عليكم” लफ्ज का इस्तेमाल करते तो आप एक की  जगह पूरी टीम माने जाते… आप तो अरबी का इतना व्याकरण जानते ही होंगे…!
आपको तो याद  ही होगा कि….  मुहम्मद इकबाल नाम के एक आदमी ने भी आपसे इसी तरह शिकवा किया था… और,  उसी इकबाल ने पाकिस्तान की बुनियाद रखी थी….  लेकिन, फिर भी  आज मजबूर होकर हम मुस्लिम…. एक काफ़िर मुल्क में रह रहे हैं. ….और,  इकबाल की तरह हम भी आपके दरबार में अपनी शिकायत पेश कर रहे है… तथा यह  ईमेल कर रहे हैं.
आप तो जानते हैं कि…. इकबाल के ज़माने में कंप्यूटर वगैरह नहीं थे… और,  मुझे पूरा यकीन कि… आपकी जन्नत में भी अब तक नेट का कनेक्शन जरुर लग गया होगा….  इसीलिए … हमें  बहुत फ़िक्र हो रही है कि …. इन काफिरों ने साइंस में इतनी तरक्की कर ली है कि…..  कहीं यह लोग आपकी जन्नत पर कब्ज़ा न कर लें…!
वैसे, इन काफिरों का यह भी कहना है कि……  उन्होंने सारे ब्रह्माण्ड में खोज की है… लेकिन आपका…. आपके फरिश्तों….और,  आपकी जन्नत का कोई अता-पता  नहीं मिला है… इसीलिए  आप जल्दी से … फिर से चोर-लुटेरे को रसूल बना कर या किसी फ़रिश्ते को भेजिए…. ताकि,  इन काफिरों का मुंह बंद हो जाये…!

 हम आपसे वादा करते हैं कि….  हम हरेक दस कदम पर मस्जिदें बनवा देगे….. जिससे हमारा मुस्तकबिल महफूज रहे… और,  इस मुल्क के काफ़िर और मुशरिक हमेशा हमसे डरते रहें ……  क्योंकि, आखिर  हम इन्ही मस्जिदों में तो अपना हथियार छुपाते है…. और, जेहाद का प्लान बनाते हैं…!
लेकिन हमारी कुछ समस्याएं है …..जो हमारी जिंदगी से जुडी हुई है….. और,  आप इसे हमारी शिकायत भी समझ सकते है.

आपने कुरान में कहा है –
सभी मुशरिक  नापाक हैं “सूरा -तौबा 9 :28.
इसलिए हम इन मुशरिकों (मूर्ति पूजक या हिन्दू) के स्कूलों में न तो अपने बच्चों को पढ़ाते हैं …और,  न ही  उनके यहाँ काम करते हैं….. जिस कारण  हम अपना निजी धंधा करने पर मजबूर हैं……  जैसे कि… नकली नोट छापना… स्मगलिंग… वेश्यावृति  और नशे का व्यापार  वगैरह….. और,  हमारे बड़े बच्चे भी इधर-उधर लूट और गाड़ियों की चोरी करके घर का पेट भर रहे है…… लेकिन, इतना होने पर भी हमारा और हमारे दस बच्चों को खाना मुश्किल से मिलता है….. क्योंकि, आपने हम मुस्लिमों के लिए परिवार नियोजन हराम कर दिया है….. जिस कारण हमलोग सूअरों की तरह 20 -25 बच्चे पैदा करने पर विवश  हैं…!
सिर्फ इतना ही होता तो ठीक था…. लेकिन आपने अपनी किताब कुरान में फिर लिख दिया है कि…,–
“जिस पर अल्लाह के अलावा  किसी और का नाम लिया गया हो.. वह हराम है “सूरा -बकरा 2 :173.
इसलिए,  हम इन काफिरों और मुशरिकों द्वारा बनाई गयी किसी चीज को नहीं खाते है…. क्योंकि,  पता नहीं उस पर किस का नाम लिया हो…. जिस कारण  हम तो बस सिर्फ हलाल गोश्त ही खाते है…… और,  अब तक हमने 7 ऊंट, 32 गाय बैल., 244 बकरे और हजारों मुर्गे मुर्गियां हजम कर ली हैं…. जिस कारण … हमारे पूरे बदन से जानवरों की बदबू निकलती रहती है….. और,  हमें इत्र लगाना पड़ता है.
हमारी इन्हीं गन्दी आदतों और अपराधी चरित्र के कारण लोग हमसे नफ़रत करते हैं……  इसके बावजूद हम अपने आसपास के लोगों को गुमराह करने के लिए आपके  कुरान की यह आयत सुना देते हैं….
“जो इस्लाम के अलावा कोई दूसरा धर्म पसंद करेगा….तो, उसे कबूल नहीं किया जायेगा….  और ऐसा व्यक्ति आखिरत में घाटा उठाने वाला होगा “……सूरा -आले इमरान 3 :85.
आपको यह जानकर बहुत ख़ुशी होगी  कि…  कभी-कभी  हमारी यह चाल सफल हो जाती है..और, कुछ अक्ल  के अंधे इस आयत की बात को सच समझ बैठते हैं…. तथा,  हमारे जाल में फंस जाते हैं…..  फिर हम ऐसे लोगों को जिहाद के काम में लगा देते है…. इस तरह  अपना धर्म छोड़कर मुसलमान बनने  वाले लोग हमारे लिए  काफी उपयोगी होते हैं.
क्योंकि … जब भी हम ऐसे लोगों से कहीं विस्फोट करवाते हैं….तो यही लोग फंस जाते हैं. …और,  हम साफ़ बच जाते है…!

अल्लाह…. आप तो जानते हैं कि ….इन काफिरों के पास धन कि कोई कमी नहीं है… और,  हमारे मुल्क में इन्ही काफिरों की सरकार है.,,,, जो हमारे वोटों की खातिर कुछ भी कर सकती है.,,, लेकिन,  बिना दवाब के यह काफ़िर सरकार आसानी से कुछ नहीं देती.,,,, इसीलिए  हम कुरान की इस आयत का पालन करते हैं. –
“और कुछ ऐसे भी लोग हैं….जिनके पास धन दौलत का ढेर है…. और,  अगर तुम उनसे मांग करोगे तो वह दे देंगे,,,,लेकिन जब तक तुम उनके सरों पर सवार नहीं हो जाओ….. “सूरा -आले इमरान 3 :75.
अल्लाह , हम आपके इसी हुक्म का पालन करते हुए इस काफी सरकार से रोज कोई न कोई मांग करते रहते हैं….. और,  सरकार को कंगाल करने में लगे रहते हैं…!

आपको यह जानकर ख़ुशी होगी कि….  सेकुलर नाम के कुछ मुशरिक हमारा पूरा समर्थन करते हैं….और,  हमारी हरेक नाजायज मांग को भी जायज साबित कर देते है….यही नहीं, जब भी हम कोई भी अपराध या बम विस्फोट कर देते हैं….. तो,  यह सेकुलर लोग दूसरे लोगों पर आरोप लगा देते है…!
हम तो इस मुल्क से सभी गैर मुस्लिमों का सफाया करना चाहते है…… चाहे इसके लिए कितने भी गैर मुस्लिमों की कुर्बानी  क्यों न देना पड़े…. क्योंकि,  हम इस्लाम के लिए कुछ भी कर सकते है…. इसीलिए ,  अगर मौका मिलेगा तो इन सेकुलर लोगों को भी ठिकाने लगा देंगे….. क्योंकि,  यह कौन से हमारे वफादार हैं…..  यह भी तो  सिर्फ सत्ता के लालची हैं…. और, फिर जो अपने हिन्दू धर्म का नहीं हुआ… वो गद्दार भला हमारा कैसे होगा…????

 लेकिन आपने एक आयत ऐसी भेज दी है…. जो हमें समझ  में नहीं आ रही है कि…. हम क्या करें…. आपने कुरान में यह क्यों लिख दिया.
“कोई जीव बिना अल्लाह की मर्जी के ईमान नहीं ला सकता, और अल्लाह ही है जो लोगों पर कुफ्र और शिर्क की गन्दगी डाल देता है” ……सूरा -यूनुस 10 :100.
इस आयत ने हमारे इरादों पर रोक लगा दी है. …. और, अब लोग आपकी कुरान पर भी शक करने लगे हैं….. यहाँ तक कि… कुछ लोग तो यह भी कहते है कि….  लोगों को आप ही काफिर और मुशरिक बनाते रहते हो….

 इसीलिए…. जब हम लोगों को मुसलमान बनने को कहते हैं….. तो वे  लोग कहते हैं. –
“हम तब तक कभी ईमान नहीं लायेंगे, जब तक कि वैसी ही किताब हमें नहीं दी जाये, जैसी अल्लाह ने दूसरों के रसूलों को दी थी ……..सूरा -अल अनआम 6 :125.
अल्लाह….. लगता है कि…. अपने तो किताबों का प्रेस ही बंद कर दिया….और,  न ही आपका कोई फ़रिश्ता ही नजर में आया…! अब हम लोगों को कैसे समझाएं……और,  अगर हम लोगों के सवालों का सही जवाब देते हैं ,,,,तो,  हमें आपके इस्लाम की पोल खुलने का डर लगता है.
आप तो जानते ही हैं कि…. आजकल साइंस का जमाना है… और, बच्चा-बच्चा होशियार हो गया है … इसीलिए जब कोई तर्कपूर्ण सवाल करता है….  तो हमारी हालत ऐसी हो जाती है….
“तुम ऐसी बातें न पूछो जो यदि खोल दी जाएँ तो खुद तुम्हे ही बुरा लगेगा. इसलिए तुम्हें सावधान रहना होगा “……. सूरा -मायदा 5 :101.
इसीलिए,  जब भी कोई हम से इस्लाम के बारे में कोई सवाल करता है……. तो हम निरुतर हो जाते हैं…. और, हमारी चर्रर्र से फट जाती है….. जिस कारण हम  दूसरे मजहब की बुराइयाँ निकालने लगते है…. लेकिन,  फिर जब इस से भी काम नहीं चलता ….तो,  हम गालियों पर उतर जाते है…. क्योंकि,  हम अच्छी तरह से जानते हैं कि …. अगर हम लोगों के सवालों का सही जवाब दे देंगे …तो,  उसका उल्टा ही नतीजा होगा…. लोगों को इस्लाम के ढोंग का पता चल जाएगा ..!
आप चाहें तो अपने रसूल से पूछ कीजिये…… उन्हीं ने कहा है.
“तुम से पहले भी एक गिरोह ने ऐसे ही सवाल किये थे…और,  जब तुम उनके सवालों का जवाब न दे पाए…. तो, वह इस्लाम से इंकार वाले हो गए…. “सूरा -मायदा 5 :102.
इसीलिए,  हम इस्लाम के बारे में किसी प्रकार के सवाल जवाब से बचते हैं… क्योंकि,  इससे वक्त की बर्बादी है…! और,  वैसे भी हम अपनी कमजोर अक्ल  पर जोर नहीं डालना चाहते…… वाद-विवाद और तर्क पूर्ण तथा वैज्ञानिकता भरे उत्तर  तो यह काफ़िर हिन्दू दिया  करते हैं….. हमें तो अपने रसूल की यही नीति पसंद है, जो कुरान में है. –
“और जब भी तुम्हारा कुफ्र वालों से किसी तरह का सामना हो जाये…. तो,  तुम उनकी गर्दनें मारना शुरू कर देना, और इस तरह उनको कुचल देना “….सूरा -मुहम्मद 47:4.
अल्लाह मियां,  हम आपको भरोसा दिलाते है…. और,  कसम खाते हैं कि…. हम मुस्लिम  इस दुनिया को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे…. आपको फरिश्तों ने खबर भेज दी ही  होगी कि. पूरा अरब बर्बाद होने जा रहा है…… और, वहां  मुसलमान आपस में ही लड़ रहे हैं…..!

इसीलिए  मुझे डर है कि… यह झगडा आपकी जन्नत  तक न पहुँच जाये……  क्योंकि मुसलमान जहाँ भी हों….. लड़ाई जरुर करते हैं ….. इसीलिए,  आप अपनी  हूरों को छुपा दीजिये…… गद्दाफी यहाँ से चल चुका है… और,  उसे जन्नत में महिला बोडी गार्ड की जरुरत पड़ेगी…..!

साथ ही कसाब को भी यहाँ के काफिर मच्छरों ने हूरों के पास भेज दिया है…!

क्या बताऊँ अल्लाह मियां…. हम लोग आपके हूरों के लालच में जेहाद तो करते हैं… लेकिन… पकडे जाने पर… ये लोग खास कर अमरीका वाले  हमें तबियत से  कूटते   हैं… ..!

सीधे-सीधे कहूँ तो…. कुरान और जेहाद कि चक्की में पिस कर हम मुस्लिमों की जिंदगी झंड है… फिर भी ना जाने हमें किस बात का घमंड है… !

 लिखना तो बहुत कुछ है….. लेकिन, यहाँ समय की कीमत होती है…. इसीलिए , हमारा मेल मिलते ही जवाब जरुर भेजिए…. ताकि,  हम जेहाद की नयी योजनाएँ  बना सकें.
आपके खिदमतगार.
नोट – कुछ समय पहले यह मेल एक मुस्लिम ने अंगरेजी में अल्लाह को भेजा था. उस से प्रभावित होकर यह मेल हिंदी में अल्लाह को भेजा गया है.और स्थान,परिस्थिति और समय को ध्यान में रखते हुए अंगरेजी मेल में कुछ परिवर्तन किया गया है।

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