प्राचीनतम इतिहास … श्री राम के द्वारा मुस्लिम की असलियत

प्राचीनतम इतिहास … श्री राम के द्वारा मुस्लिम की असलियत
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मै काफी दिन से इस्लाम को समझने की कोशिस कर रहा था … की आखिर ये क्या है …ये कोई धर्म है या मत या कोई …. कुछ और ? लेकिन एक बात मुझे ज्यादा परेशन करती थी इनका हर काम हिन्दू धर्म के विपरीत करने का …. मुझे हमेशा से जिज्ञासा बनी रहती थी … इसको जानने की … और इसको जानने के लिए कभी किसी का लेख तो कभी इस्लाम की धार्मिक पुस्तकों को पढता था ..लेकिन कभी सही उत्तर नहीं मिला …. कोई कुछ कहता तो कोई कुछ हर एक के अपने अलग विचार ..हा कुछ बाते जरुर सामान होती थी ..यदि मै किसी मुस्लिम दोस्त से पूछता तो .. इस्लाम को पुराण धर्म बताता था … एक दिन किसी ने कुछ सबाल रामचरित्र मानस से पूछा जिसका उत्तर के लिए मुझे रामचरित्र मानस पढनी पढ़ी … और साथ में वाल्मीकि रामायण भी ………… कहते है राम उल्टा का नाम लेने से वाल्मीकि जी डाकू से ऋषि बन गए .. क्युकि राम से बड़ा राम का नाम ये ही बात सिद्ध होती है यदि आप इतिहास उठा कर देखे तो .. मुगलों से लेकर अंग्रेजो को भागने में राम का नाम ही काम आया है … राम नाम ही चमत्कार था की पत्थर भी पानी में तैर सकते है … भगवान शिव और हनुमान जी जो पलभर में भक्तो के दुःख दूर करते है ..बो भी राम नाम का जप करते है … राम से बड़ा राम का नाम … राम ही सत्य है ..इसका ज्ञान मुझे रामायण से हुआ जो सबालो के उत्तर कही ना मिले वह मुझे रामायण जी में मिले ….
क्यों ये लोग राम , कृष्ण को कल्पनिक बोलकर रामायण और महाभारत को झूठा साबित करने की कोशिस करते है
आपने देखा होगा मुसलमान भाई और उनके धर्म गुरु… राम , कृष्ण को कल्पनिक बोलकर रामायण और महाभारत को झूठा साबित करने की कोशिस करते रहते है ..इनमे ईसाई और सकुलर लोग भी पीछे नहीं है …
क्यों आखिर इनलोगों को क्या परेशनी है कभी आपने सोचा है है क्यों ये एक सोची समझी रणनीति के तहत कभी राम और कभी कृष्ण जी को बदनाम करते रहते है … कभी उनके चरित्र और कभी जन्म को लेकर ..
कारण येही है की राम , कृष्ण को कल्पनिक बोलकर रामायण और महाभारत को झूठा साबित कर सत्य को छिपाना ….
मक्का शहर से कुछ मील दूर एक साइनबोर्ड पर स्पष्ट उल्लेख है कि “इस इलाके में गैर-मुस्लिमों का आना प्रतिबन्धित है…”। यह काबा के उन दिनों की याद ताज़ा करता है, जब नये-नये आये इस्लाम ने इस इलाके पर अपना कब्जा कर लिया था। इस इलाके में गैर-मुस्लिमों का प्रवेश इसीलिये प्रतिबन्धित किया गया है, ताकि इस कब्जे के निशानों को छिपाया जा सके।”
ये हुक्म कुरआन में दिया गया कि गैर-मुस्लिमों को काबे से दुर कर दो….उन्हे मस्जिदे-हराम के पास भी नही आने देना
ये सारे प्रमाण ये बताने के लिए हैं कि क्यों मुस्लिम इतना डरे रहते हैं इस मंदिर को लेकर..इस मस्जिद के रहस्य को जानने के लिए कुछ हिंदुओं ने प्रयास किया तो वे क्रूर मुसलमानों के हाथों मार डाले गए और जो कुछ बच कर लौट आए वे भी पर्दे के कारण ज्यादा जानकारी प्राप्त नहीं कर पाए.अंदर के अगर शिलालेख पढ़ने में सफलता मिल जाती तो ज्यादा स्पष्ट हो जाता.इसकी दीवारें हमेशा ढकी रहने के कारण पता नहीं चल पाता है कि ये किस पत्थर का बना हुआ है पर प्रांगण में जो कुछ इस्लाम-पूर्व अवशेष रहे हैं वो बादामी या केसरिया रंग के हैं..संभव है काबा भी केसरिया रंग के पत्थर से बना हो..एक बात और ध्यान देने वाली है कि पत्थर से मंदिर बनते हैं मस्जिद नहीं..भारत में पत्थर के बने हुए प्राचीन-कालीन हजारों मंदिर मिल जाएँगे…
१- मुसलमान कहते हैं कि कुरान ईश्वरीय वाणी है तथा यह धर्म अनादि काल से चली आ रही है,परंतु ये बात आधारहीन तथा तर्कहीन हैं . . .
# किसी भी सीधांत को रद्द करने के लिए उसको पहले सही तरीक़े से समझ लें. इसलाम धर्म का दावा है की दुनिया में शुरू में एक ही धर्म था और वो इस्लाम था. उस वक़्त उसकी भाषा और ,नाम अलग होगा. फिर लोगों ने धर्म परिवर्तन किए और असली धर्म की छबि बदल गयी. फिर अल्लाह ने धर्म को पुनः स्थापित किया. फिर ये होता रहा और अल्लाह अपने पैगंबरों से वापस धर्म को उसकी असली शक्ल में स्थापित करता रहा. इस सिलसिले में मोहम्मद पैगंबर अल्लाह के आखरी पैगंबर हैं, और ये इस्लाम की आखरी शक्ल है, इसके बाद बदलाओ या बिगाड़ होने पर प्रलय होगा.
ये उसी तरह है जैसे हम अपने संवीधन बदलते हैं. मौजूदा इस्लाम , इस्लाम धर्म का आखरी revision है. आप खुद समझ लें के आप हज़ारों साल पुराना संविधान follow कर रहे हैं.
2. – आदि धर्म-ग्रंथ संस्कृत में होनी चाहिए अरबी या फारसी में नहीं|
भाई, क़ुरान को मुसलमान कब आदि ग्रंथ कहते हैं. अगर आप ने क़ुरान पढ़ा तो आप देखोगे के उस में क़ुरान से पहले के ग्रंथों पर भी बात की गयी है. एक जगह किसी ग्रंथ को आदि ग्रंथ कहा गया है जिस के बारे में हम लोग खुद कहते हैं के शायद ये वेदों के बारे में है
#बहुत सी भाषाओं में बहुत से शब्द मिलते जुलते हैं, किसी भाषा में
अल्लाह शब्द भी संस्कृत शब्द अल्ला से बना है जिसका अर्थ देवी होता है|
जिस प्रकार हमलोग मंत्रों में “या” शब्द का प्रयोग करते हैं देवियों को पुकारने में जैसे “या देवी सर्वभूतेषु….”, “या वीणा वर ….” वैसे ही मुसलमान भी पुकारते हैं “या अल्लाह”..इससे सिद्ध होता है कि ये अल्लाह शब्द भी ज्यों का त्यों वही रह गया बस अर्थ बदल दिया गया|
एक मुस्लिम भाई ने कहा जनाब आपसे किसने कहा कि इसलाम सातवी-आठवीं सदी में हुआ…जब से दुनिया बनी है तब से इस्लाम है…
अल्लाह ने दुनिया में 1,24,000 नबी और रसुल भेजे और सब पर किताबे नाज़िल की…
कुरआन में नाम से 25 नबी और 4 किताबों का ज़िक्र है…. कुरआन में बताये गये २५ नबी व रसुलों के नाम बता रहा हूं…उनके नामों के इंग्लिश में वो नाम दिये है जिन नामों से इन नबीयों का ज़िक्र “बाईबिल” में है….
1. आदम अलैहि सलाम (Adam)
2. इदरीस अलैहि सलाम (Enoch)
3. नुह अलैहि सलाम (Noah)
4. हुद अलैहि सलाम (Eber)
5. सालेह अलैहि सलाम (Saleh)
6. ईब्राहिम अलैहि सलाम (Abraham)
7. लुत अलैहि सलाम (Lot)
8. इस्माईल अलैहि सलाम (Ishmael)
9. इशाक अलैहि सलाम (Isaac)
10. याकुब अलैहि सलाम (Jacob)
11. युसुफ़ अलैहि सलाम (Joseph)
12. अय्युब अलैहि सलाम (Job)
13. शुऎब अलैहि सलाम (Jethro)
14. मुसा अलैहि सलाम (Moses)
15. हारुन अलैहि सलाम (Aaron)
16. दाऊद अलैहि सलाम (David)
17. सुलेमान अलैहि सलाम (Solomon)
18. इलियास अलैहि सलाम (Elijah)
19. अल-यासा अलैहि सलाम (Elisha)
20. युनुस अलैहि सलाम (Jonah)
21. धुल-किफ़्ल अलैहि सलाम (Ezekiel)
22. ज़करिया अलैहि सलाम (Zechariah)
23. याहया अलैहि सलाम (John the Baptist)
24. ईसा अलैहि सलाम (Jesus)
25. आखिरी रसुल सल्लाहो अलैहि वस्सलम (Ahmed)
इन नबीयों में से छ्ठें नबी “ईब्राहिम अलैहि सलाम” जिन्होने “काबा” को तामिल किया था उनका जन्म 1900 ईसा पूर्व हुआ था….
# तो भाई केबल २५ नवी की जानकारी के दम पर ये इस्लाम को पुराना धर्म बोल रहे है भाई बाकि 1,24,000 नबी और रसुल का क्या होगा ?????????
ला इलाहा इल्लल्लाह, मुहम्मद उर-रसूलुल्लाह इस कलमे का अर्थ मुहम्मद ने बताया है की ईश्वर एक है और मुहम्मद उसके पैगम्बर है … जब की सब जानते है की इला एक देवी थी जिनकी पूजा होती थी और अल्लाह कोन था आज हम इस को भी समझेगे की सत्य क्या था ….?
और बहुत कुछ ये भी पढ़ा ….
अरब की प्राचीन समृद्ध वैदिक संस्कृति और भारत।।।।।
अरब देश का भारत, भृगु के पुत्र शुक्राचार्य तथा उनके पोत्र और्व से ऐतिहासिक संबंध प्रमाणित है, यहाँ तक कि “हिस्ट्री ऑफ पर्शिया” के लेखक साइक्स का मत है कि अरब का नाम और्व के ही नाम पर पड़ा, जो विकृत होकर “अरब” हो गया। भारत के उत्तर-पश्चिम में इलावर्त था, जहाँ दैत्य और दानव बसते थे, इस इलावर्त में एशियाई रूस का दक्षिणी-पश्चिमी भाग, ईरान का पूर्वी भाग तथा गिलगित का निकटवर्ती क्षेत्र सम्मिलित था। आदित्यों का आवास स्थान-देवलोक भारत के उत्तर-पूर्व में स्थित हिमालयी क्षेत्रों में रहा था। बेबीलोन की प्राचीन गुफाओं में पुरातात्त्विक खोज में जो भित्ति चित्र मिले है, उनमें विष्णु को हिरण्यकशिपु के भाई हिरण्याक्ष से युद्ध करते हुए उत्कीर्ण किया गया है।
उस युग में अरब एक बड़ा व्यापारिक केन्द्र रहा था, इसी कारण देवों, दानवों और दैत्यों में इलावर्त के विभाजन को लेकर 12 बार युद्ध ‘देवासुर संग्राम’ हुए। देवताओं के राजा इन्द्र ने अपनी पुत्री ज्यन्ती का विवाह शुक्र के साथ इसी विचार से किया था कि शुक्र उनके (देवों के) पक्षधर बन जायें, किन्तु शुक्र दैत्यों के ही गुरू बने रहे। यहाँ तक कि जब दैत्यराज बलि ने शुक्राचार्य का कहना न माना, तो वे उसे त्याग कर अपने पौत्र और्व के पास अरब में आ गये और वहाँ 10 वर्ष रहे। साइक्स ने अपने इतिहास ग्रन्थ “हिस्ट्री ऑफ पर्शिया” में लिखा है कि ‘शुक्राचार्य लिव्ड टेन इयर्स इन अरब’। अरब में शुक्राचार्य का इतना मान-सम्मान हुआ कि आज जिसे ‘काबा’ कहते है, वह वस्तुतः ‘काव्य शुक्र’ (शुक्राचार्य) के सम्मान में निर्मित उनके आराध्य भगवान शिव का ही मन्दिर है। कालांतर में ‘काव्य’ नाम विकृत होकर ‘काबा’ प्रचलित हुआ। अरबी भाषा में ‘शुक्र’ का अर्थ ‘बड़ा’ अर्थात ‘जुम्मा’ इसी कारण किया गया और इसी से ‘जुम्मा’ (शुक्रवार) को मुसलमान पवित्र दिन मानते है।
“बृहस्पति देवानां पुरोहित आसीत्, उशना काव्योऽसुराणाम्”-जैमिनिय ब्रा.(01-125)
अर्थात बृहस्पति देवों के पुरोहित थे और उशना काव्य (शुक्राचार्य) असुरों के।
प्राचीन अरबी काव्य संग्रह गंथ ‘सेअरूल-ओकुल’ के 257वें पृष्ठ पर हजरत मोहम्मद से 2300 वर्ष पूर्व एवं ईसा मसीह से 1800 वर्ष पूर्व पैदा हुए लबी-बिन-ए-अरव्तब-बिन-ए-तुरफा ने अपनी सुप्रसिद्ध कविता में भारत भूमि एवं वेदों को जो सम्मान दिया है, वह इस प्रकार है-
“अया मुबारेकल अरज मुशैये नोंहा मिनार हिंदे।
व अरादकल्लाह मज्जोनज्जे जिकरतुन।1।
वह लवज्जलीयतुन ऐनाने सहबी अरवे अतुन जिकरा।
वहाजेही योनज्जेलुर्ररसूल मिनल हिंदतुन।2।
यकूलूनल्लाहः या अहलल अरज आलमीन फुल्लहुम।
फत्तेबेऊ जिकरतुल वेद हुक्कुन मालन योनज्वेलतुन।3।
वहोबा आलमुस्साम वल यजुरमिनल्लाहे तनजीलन।
फऐ नोमा या अरवीयो मुत्तवअन योवसीरीयोनजातुन।4।
जइसनैन हुमारिक अतर नासेहीन का-अ-खुबातुन।
व असनात अलाऊढ़न व होवा मश-ए-रतुन।5।”
अर्थात- (1) हे भारत की पुण्यभूमि (मिनार हिंदे) तू धन्य है, क्योंकि ईश्वर ने अपने ज्ञान के लिए तुझको चुना। (2) वह ईश्वर का ज्ञान प्रकाश, जो चार प्रकाश स्तम्भों के सदृश्य सम्पूर्ण जगत् को प्रकाशित करता है, यह भारतवर्ष (हिंद तुन) में ऋषियों द्वारा चार रूप में प्रकट हुआ। (3) और परमात्मा समस्त संसार के मनुष्यों को आज्ञा देता है कि वेद, जो मेरे ज्ञान है, इनके अनुसार आचरण करो। (4) वह ज्ञान के भण्डार साम और यजुर है, जो ईश्वर ने प्रदान किये। इसलिए, हे मेरे भाइयों! इनको मानो, क्योंकि ये हमें मोक्ष का मार्ग बताते है। (5) और दो उनमें से रिक्, अतर (ऋग्वेद, अथर्ववेद) जो हमें भ्रातृत्व की शिक्षा देते है, और जो इनकी शरण में आ गया, वह कभी अन्धकार को प्राप्त नहीं होता।
इस्लाम मजहब के प्रवर्तक मोहम्मद स्वयं भी वैदिक परिवार में हिन्दू के रूप में जन्में थे, और जब उन्होंने अपने हिन्दू परिवार की परम्परा और वंश से संबंध तोड़ने और स्वयं को पैगम्बर घोषित करना निश्चित किया, तब संयुक्त हिन्दू परिवार छिन्न-भिन्न हो गया और काबा में स्थित महाकाय शिवलिंग (संगे अस्वद) के रक्षार्थ हुए युद्ध में पैगम्बर मोहम्मद के चाचा उमर-बिन-ए-हश्शाम को भी अपने प्राण गंवाने पड़े। उमर-बिन-ए-हश्शाम का अरब में एवं केन्द्र काबा (मक्का) में इतना अधिक सम्मान होता था कि सम्पूर्ण अरबी समाज, जो कि भगवान शिव के भक्त थे एवं वेदों के उत्सुक गायक तथा हिन्दू देवी-देवताओं के अनन्य उपासक थे, उन्हें अबुल हाकम अर्थात ‘ज्ञान का पिता’ कहते थे। बाद में मोहम्मद के नये सम्प्रदाय ने उन्हें ईष्यावश अबुल जिहाल ‘अज्ञान का पिता’ कहकर उनकी निन्दा की।
जब मोहम्मद ने मक्का पर आक्रमण किया, उस समय वहाँ बृहस्पति, मंगल, अश्विनी कुमार, गरूड़, नृसिंह की मूर्तियाँ प्रतिष्ठित थी। साथ ही एक मूर्ति वहाँ विश्वविजेता महाराजा बलि की भी थी, और दानी होने की प्रसिद्धि से उसका एक हाथ सोने का बना था। ‘Holul’ के नाम से अभिहित यह मूर्ति वहाँ इब्राहम और इस्माइल की मूर्त्तियो के बराबर रखी थी। मोहम्मद ने उन सब मूर्त्तियों को तोड़कर वहाँ बने कुएँ में फेंक दिया, किन्तु तोड़े गये शिवलिंग का एक टुकडा आज भी काबा में सम्मानपूर्वक न केवल प्रतिष्ठित है,वरन् हज करने जाने वाले मुसलमान उस काले (अश्वेत) प्रस्तर खण्ड अर्थात ‘संगे अस्वद’ को आदर मान देते हुए चूमते है।
प्राचीन अरबों ने सिन्ध को सिन्ध ही कहा तथा भारतवर्ष के अन्य प्रदेशों को हिन्द निश्चित किया। सिन्ध से हिन्द होने की बात बहुत ही अवैज्ञानिक है। इस्लाम मत के प्रवर्तक मोहम्मद के पैदा होने से 2300 वर्ष पूर्व यानि लगभग 1800 ईश्वी पूर्व भी अरब में हिंद एवं हिंदू शब्द का व्यवहार ज्यों का त्यों आज ही के अर्थ में प्रयुक्त होता था।
अरब की प्राचीन समृद्ध संस्कृति वैदिक थी तथा उस समय ज्ञान-विज्ञान, कला-कौशल, धर्म-संस्कृति आदि में भारत (हिंद) के साथ उसके प्रगाढ़ संबंध थे। हिंद नाम अरबों को इतना प्यारा लगा कि उन्होंने उस देश के नाम पर अपनी स्त्रियों एवं बच्चों के नाम भी हिंद पर रखे ।
अरबी काव्य संग्रह ग्रंथ ‘ सेअरूल-ओकुल’ के 253वें पृष्ठ पर हजरत मोहम्मद के चाचा उमर-बिन-ए-हश्शाम की कविता है जिसमें उन्होंने हिन्दे यौमन एवं गबुल हिन्दू का प्रयोग बड़े आदर से किया है । ‘उमर-बिन-ए-हश्शाम’ की कविता नयी दिल्ली स्थित मन्दिर मार्ग पर श्री लक्ष्मीनारायण मन्दिर (बिड़ला मन्दिर) की वाटिका में यज्ञशाला के लाल पत्थर के स्तम्भ (खम्बे) पर काली स्याही से लिखी हुई है, जो इस प्रकार है –
” कफविनक जिकरा मिन उलुमिन तब असेक ।
कलुवन अमातातुल हवा व तजक्करू ।1।
न तज खेरोहा उड़न एललवदए लिलवरा ।
वलुकएने जातल्लाहे औम असेरू ।2।
व अहालोलहा अजहू अरानीमन महादेव ओ ।
मनोजेल इलमुद्दीन मीनहुम व सयत्तरू ।3।
व सहबी वे याम फीम कामिल हिन्दे यौमन ।
व यकुलून न लातहजन फइन्नक तवज्जरू ।4।
मअस्सयरे अरव्लाकन हसनन कुल्लहूम ।
नजुमुन अजा अत सुम्मा गबुल हिन्दू ।5।
अर्थात् – (1) वह मनुष्य, जिसने सारा जीवन पाप व अधर्म में बिताया हो, काम, क्रोध में अपने यौवन को नष्ट किया हो। (2) अदि अन्त में उसको पश्चाताप हो और भलाई की ओर लौटना चाहे, तो क्या उसका कल्याण हो सकता है ? (3) एक बार भी सच्चे हृदय से वह महादेव जी की पूजा करे, तो धर्म-मार्ग में उच्च से उच्च पद को पा सकता है। (4) हे प्रभु ! मेरा समस्त जीवन लेकर केवल एक दिन भारत (हिंद) के निवास का दे दो, क्योंकि वहाँ पहुँचकर मनुष्य जीवन-मुक्त हो जाता है। (5) वहाँ की यात्रा से सारे शुभ कर्मो की प्राप्ति होती है, और आदर्श गुरूजनों (गबुल हिन्दू) का सत्संग मिलता है
मुसलमानों के पूर्वज कोन?(जाकिर नाइक के चेलों को समर्पित लेख)

स्व0 मौलाना मुफ्ती अब्दुल कयूम जालंधरी संस्कृत ,हिंदी,उर्दू,फारसी व अंग्रेजी के जाने-माने विद्वान् थे। अपनी पुस्तक “गीता और कुरआन “में उन्होंने निशंकोच स्वीकार किया है कि,”कुरआन” की सैकड़ों आयतें गीता व उपनिषदों पर आधारित हैं।
मोलाना ने मुसलमानों के पूर्वजों पर भी काफी कुछ लिखा है । उनका कहना है कि इरानी “कुरुष ” ,”कौरुष “व अरबी कुरैश मूलत : महाभारत के युद्ध के बाद भारत से लापता उन २४१६५ कौरव सैनिकों के वंसज हैं, जो मरने से बच गए थे।
अरब में कुरैशों के अतिरिक्त “केदार” व “कुरुछेत्र” कबीलों का इतिहास भी इसी तथ्य को प्रमाणित करता है। कुरैश वंशीय खलीफा मामुनुर्र्शीद(८१३-८३५) के शाशनकाल में निर्मित खलीफा का हरे रंग का चंद्रांकित झंडा भी इसी बात को सिद्ध करता है।
कौरव चंद्रवंशी थे और कौरव अपने आदि पुरुष के रूप में चंद्रमा को मानते थे। यहाँ यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि इस्लामी झंडे में चंद्रमां के ऊपर “अल्लुज़ा” अर्ताथ शुक्र तारे का चिन्ह,अरबों के कुलगुरू “शुक्राचार्य “का प्रतीक ही है। भारत के कौरवों का सम्बन्ध शुक्राचार्य से छुपा नहीं है।
इसी प्रकार कुरआन में “आद “जाती का वर्णन है,वास्तव में द्वारिका के जलमग्न होने पर जो यादव वंशी अरब में बस गए थे,वे ही कालान्तर में “आद” कोम हुई।
अरब इतिहास के विश्वविख्यात विद्वान् प्रो० फिलिप के अनुसार २४वी सदी ईसा पूर्व में “हिजाज़” (मक्का-मदीना) पर जग्गिसा(जगदीश) का शासन था।२३५० ईसा पूर्व में शर्स्किन ने जग्गीसी को हराकर अंगेद नाम से राजधानी बनाई। शर्स्किन वास्तव में नारामसिन अर्थार्त नरसिंह का ही बिगड़ा रूप है। १००० ईसा पूर्व अन्गेद पर गणेश नामक राजा का राज्य था। ६ वी शताब्दी ईसा पूर्व हिजाज पर हारिस अथवा हरीस का शासन था। १४वी सदी के विख्यात अरब इतिहासकार “अब्दुर्रहमान इब्ने खलदून ” की ४० से अधिक भाषा में अनुवादित पुस्तक “खलदून का मुकदमा” में लिखा है कि ६६० इ० से १२५८ इ० तक “दमिश्क” व “बग़दाद” की हजारों मस्जिदों के निर्माण में मिश्री,यूनानी व भारतीय वातुविदों ने सहयोग किया था। परम्परागत सपाट छत वाली मस्जिदों के स्थान पर शिव पिंडी कि आकृति के गुम्बदों व उस पर अष्ट दल कमल कि उलट उत्कीर्ण शैली इस्लाम को भारतीय वास्तुविदों की देन है।इन्ही भारतीय वास्तुविदों ने “बैतूल हिक्मा” जैसे ग्रन्थाकार का निर्माण भी किया था।
अत: यदि इस्लाम वास्तव में यदि अपनी पहचान कि खोंज करना चाहता है तो उसे इसी धरा ,संस्कृति व प्रागैतिहासिक ग्रंथों में स्वं को खोजना पड़ेगा……………………………..
भाइयो एक सत्य में आपको बताना चाहुगा की मुहम्मद को लेकर मुसलमानों में जो गलतफैमी है की मुहम्मद ने अरब से अत्याचारों को दूर किया … केबल अत्याचारियो को मारा , समाज की बुरयियो को दूर किया अरब में भाई भाई का दुश्मन था , स्त्रियो की दशा सुधारी … मुहमद एक अनपढ़ (उम्मी ) था …. आदि ..सत्य क्या है आप उस समय की जानकारियों से पता लगा सकते है … जब की उस समय अरब में सनातन धर्म ही था ..इसके कई प्रमाण है
१- जब मुहम्मद का जन्म हुआ तो पिता की म्रत्यु हो चुकी थी .. मा भी कुछ सालो बाद चल बसी .. मुहम्मद की देखभाल उनके चाचा ने की … यदि समाज में लालच , लोभ होता तो क्या उनके चाचा उनको पलते ?
२- खालिदा नामक पढ़ी लिखी स्त्री का खुद का व्यापर होना सनातन धर्म में स्त्रियो की आजादी का सबुत है… मुहमम्द वहा पर नोकरी करते थे ?
३- ३ बार शादी के बाद भी विधवा स्त्री का खुद मुहम्मद से शादी का प्रस्ताब ? स्त्रियो को खुद अपने लिए जीवन साथी चुने और विधवा स्त्री होने पर भी शादी और व्यापर की आजादी … सनातन धर्म के अंदर ..
४- खालिदा का खुद शिक्षित होना सनातन धर्म में स्त्रियो को शिक्षा का सबुत है
५- मुहम्मद का २५ साल का होकर ४० साल की स्त्री से विवाह ..किन्तु किसी ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया ..सनातन धर्म में हर एक को आजादी ..कोई बंधन नहीं
६- मुहम्मद का धार्मिक प्रबचन देना किसी का कोई विरोध ना होना जब तक सनातन धर्म के अंदर नये धर्म का प्रचार
७- मुहम्मद यदि अनपढ़ होते तो क्या व्यापर कर सकते थे ? नहीं ..मुहम्मद पहले अनपढ़ थे लेकिन बाद में उनकी पत्नी और साले ने उनको पढ़ना लिखना सीखा दिया था … सबूत मरते समय मुहम्मद का कोई वसीयत ना बनाने पर कलम और कागज का ना मिलना ..और कुछ लोगो का उनपर वसीयत ना बनाने पर रोष करना …
मुहम्मद को उनकी पत्नी ने सारे धार्मिक पुस्तकों जैसे रामायण , गीता , महाभारत , वेद, वाईविल, और यहूदी धार्मिक पुस्तकों को पढ़ कर सुनाया था और पढ़ना लिखना सीखा दिया था , आप किसी को लिखना पढ़ना सीखा सकते हो लेकिन बुद्धि का क्या ?…जो आज तक उसके मानने बालो की बुद्धि पर असर है .. जो कुरान और हदीश में मुहम्मद में लिखा या उनके कहानुसार लिखा गया बाद में , लेकिन किसी को कितना ही कुछ भी सुना दो लेकिन व्यक्ति की सोच को कोन बदल सकता है मुझे तुलसीदास जी की चोपाई याद आ रही है जो मुहम्मद पर सटीक बैठती है
ढोल , गवाँर ,शूद्र, पसु , नारी , सकल ताडना के अधिकारी …..
आप किसी कितना ज्ञान देदो बो बेकार हो जाता है जब कोई किसी चीज का गलत अर्थ लगा कर समझता है गवाँर बुद्धि में क्या आया और उसने क्या समझा ये आप कुरान में जान सकते है …. कुरान में वेदों , रामायण , गीता , पुराणों का ज्ञान मिलेगा लेकिन उसका अर्थ गलत मिलेगा ………
चलिए आपको कुछ रामायण जी से इस्लाम की जानकारी लेते है ………
ये उस समय की बात है जन राम और लक्ष्मण जी और भरत आपस में सत्य कथाओ को उन रहे थे .. तब प्रभु श्री राम ने राजा इल की कथा सुनायी जो वाल्मीकि रामायण में उत्तरकांड में आती है .. मै श्लोको के अनुसार ना ले कर सारांश में बता रहा हू ……
उत्तरकांड का ८७ बा सर्ग :=
प्रजापति कर्दम के पुत्र राजा इल बहिकदेश (अरब ईरान क्षेत्र के जो इलावर्त क्षेत्र कहलाता था ) के राजा थे , बो धर्म और न्याय से राज्य करते थे .. सपूर्ण संसार के जीव , राक्षस , यक्ष , जानबर आदि उनसे भय खाते थे .एक बार राजा अपने सैनिको के साथ शिकार पर गए उन्होंने कई हजार हिसक पशुओ का वध किया था शिकार में ,राजा उस निर्जन प्रदेश में गए जहा महासेन (स्वामी कार्तीय) का जन्म हुआ था बहा भगवन शिव अपने को स्त्री रूप में प्रकट करके देवी पार्वती का प्रिय पात्र बनने करने की इच्छा से वह पर्वतीय झरने के पास उनसे विहार कर रहे थे .. वह जो कुछ भी चराचर प्राणी थे वे सब स्त्री रूप में हो गए थे , राजा इल भी सेवको के साथ स्त्रीलिंग में परिणत हो गए …. शिव की शरण में गए लेकिन शिवजी ने पुरुषत्व को छोड़ कर कुछ और मानने को कहा , राजा दुखी हुए फिर बो माँ पार्वती जी के पास गए और माँ की वंदना की .. फिर माँ पार्वती ने राजा से बोली में आधा भाग आपको दे सकती हू आधा भगवन शिव ही जाने … राजा इल को हर्ष हुआ .. माँ पार्वती ने राजा की इच्छानुसार वर दी की १ माह पुरुष राजा इल , और एक माह नारी इला रहोगे जीवन भर .. लेकिन दोनों ही रूपों में तुम अपने एक रूप का स्मरण नहीं रहेगा ..इस प्रकार राजा इल और इला बन कर रहने लगे
८८ बा सर्ग := चंद्रमा के पुत्र पुत्र बुध ( चंद्रमा और गुरु ब्रस्पति की पत्नी के पुत्र ) जो की सरोवर में ताप कर रहे थे इला ने उनको और उन्होंने इला को देखा …मन में आसक्त हो गया उन्होंने इला की सेविका से जानकारी पूछी ..बाद में बुध ने पुण्यमयी आवर्तनी विधा का आवर्तन (स्मरण ) किया और राजा के विषय में सम्पुण जानकारी प्राप्त करली , बुध ने सेविकाओ को किंपुरुषी (किन्नरी) हो कर पर्वत के किनारे रहने और निवास करने को बोला .. आगे चल कर तुम सभी स्त्रियों को किंपुरुष प्राप्त होगे .. बुध की बात सुन किंपुरुषी नाम से प्रसिद्ध हुयी सेविकाए जो संख्या में बहुत थी पर्वत पर रहने लगी ( इस प्रकार किंपुरुष जाति का जन्म हुआ )
८९ सर्ग := बुध का इला को अपना परिचय देना और इला का उनके साथ मे में रमण करना… एक माह राजा इल के रूप में एक माह रूपमती इला के रूप में रहना … इला और बुध का पुत्र पुरुरवा हुए
९० सर्ग;= राजा इल को अश्वमेध के अनुष्ठन से पुरुत्व की प्राप्ति बुध के द्वारा रूद्र( शिव ) की आराधना करना और यज्ञ करना मुनियों के द्वारा ..महादेव को दरशन देकर राजा इल को पूर्ण पुरुषत्व देना … राजा इल का बाहिक देश छोड़ कर मध्य प्रदेश (गंगा यमुना संगम के निकट ) प्रतिष्ठानपुर बसाया बाद में राजा इल के ब्रहम लोक जाने के बाद पुरुरवा का राज्य के राजा हुए
– इति समाप्त
आज के लेख से आपके प्रश्न और उसके जबाब …..
1. इस्लाम में बोलते है की इस्लाम सनातन धर्म है और बहुत पुराना है ? और अल्लाह कोन था ? कलमा में क्या है ?
# भाई आसान सबाल का आसान उत्तर है की सनातन धर्म सम्पूर्ण संसार में था और लोगो का विश्वास धर्म पर बहुत गहरा था , मुहम्मद ने जब सनातन धर्म के अंदर ही अपने धर्म का प्रचार किया था तो लोगो ने विरोध नहीं किया था ..लेकिन जब उसने सनातन धर्म का विरोध किया तो उसको मक्का छोडना पड़ा था … मुहम्मद कैसा भी था लेकिन देश भक्त था बो चाहता था जैसे पूरब का देश (भारत) का धर्म सम्पूर्ण संसार में है और सब उसको सम्मान देते है वैसे ही बो अरब के लिए चाहता था …. लेकिन जब उसको अपने ही शहर से निकला गया तो बो समझ गया की सनातन धर्म को कोई खतम नहीं कर सकता है लेकिन बो इसका रूप बदल सकता है …जिससे लोगो में विद्रोह का डर भी नहीं रहेगा … जब उसने काबा को जीता और उसकी सारी ३६० मुर्तिया और शिवलिंग तोडा … उसको कुछ याद आया और उसने कुछ नीचे के भाग(शक्ति) को चांदी में करके काबा की दीवार से लगा दिया और अपनी गलती के लिए पत्थर को चूमा (क्युकि उसका परिबार कई पीडीयो से इसकी रक्षा और पूजा करता आ रहा था ) और बोला तो केबल पत्थर है और कुछ और नहीं …….
इस्लाम के बारे में 1372 साल पहले अस्तित्व में आया था. यह सर्वविदित है कि 7500 साल पहले से अधिक, महाभारत युद्ध के समय में, कुरूस दुनिया शासन. कि परिवार के घरानों के वारिस के विभिन्न क्षेत्रों दिलाई. पैगंबर मोहम्मद खुद को और अपने परिवार के वैदिक संस्कृति के अनुयायियों थे. विश्वकोश इस्लामिया के रूप में बहुत मानते हैं, जब यह कहते हैं: “के मोहम्मद दादा और चाचा जो 360 मूर्तियों स्थित काबा मंदिर के वंशानुगत याजक थे!”
(ये मेरे एक मुस्लिम मित्र ने बताया था ….. की …
“काबा” में जो ३६० बुत रखे थे वो किसी तुफ़ान में नही टुटे थे बल्कि उनको “मक्का फ़तह” के वक्त हुज़ुर सल्लाहो अलैहि वसल्लम ने अपनी छ्डी से तोडा था…हर बुत को तोड्ते जा रहे थे और कुरआन की आयत पढते जा रहे थे सुरह बनी इसराईल सु.१७ : आ. ८१ “और तु कह कि अल्लाह की तरफ़ से हक आ चुका है और झुठ नाबूद हो चुका है क्यौंकि झुठ बर्बाद होने वाला है….. )
तो उसने ये बोलना शुरू किया की अल्लाह का कोई आकार नहीं है बो निराकार है …जो की सनातन धर्म का ही एक भाग है (वेद से) …
• अल्लाह कोन था ?
मोहम्मद का जन्म हुआ Qurayshi जनजाति विशेष रूप से अल्लाह (पार्वती ) और चंद्रमा भगवान (शिव)की तीन बच्चों (त्रिदेवी – काली(७) , गोरी (दुर्गा ८) , सरस्वती (ज्ञान की देवी) या कात्यानी (सिद्धि की देवी) को समर्पित किया गया था. इसलिए जब मुहम्मद अपने ही देवी धर्म बनाने का फैसला किया, और ७८६ (जिससे ओम भी बनता है)
चुकी मुहम्मद एक लुटेरा था इस कारण बो अल्लाह को मानता था केबल (जैसे डाकू माँ काली की पूजा करते है ) कारण था की उसने ये रामायण की कथा सुन ली थी जिस कारण बो भगवान शिव की पूजा से बच कर शक्ति की पूजा करता था …. क्युकि माँ पार्वती ने ही राजा इल को वरदान दिया था और शिव के कारण ही समस्या हुयी टी ऐसा शयद बो सोचता था … इस लिए बो अल्लाह (पार्वती) के निर्गुण मानता था … मुहम्मद से भारत का नाम धर्म से हटाने के लिए हिन्दू देवी देवताओ को इस्लाम के नवी और पैगम्बर बोलना शुरु कर दिया और सनातन धर्म से उल्टा काम करना … जैसे काबा के ७ चक्कर (उलटे ), आदि जिससे उसको जनता से कोई परेशनी नहीं हुयी जिससे हुयी उसको उसने खत्म कर दिया …
• दिन की जगह रात में पूजा .?..
क्युकि भगवान शिव और शक्ति की पूजा रात्रि में ही होती है और सनातन धर्म का नाम इस्लाम रख दिया कुछ समय बाद जब बहुत कुछ उसके हाथो में आ गया ….
• कलमा में क्या है ?
ला इलाहा इल्लल्लाह, मुहम्मद उर-रसूलुल्लाह इस कलमे का अर्थ मुहम्मद ने बताया है की ईश्वर एक है और मुहम्मद उसके पैगम्बर है … अब जब की सब जानते है की इला और इल एक थे , जिनकी पूजा होती थी और अल्लाह (पार्वती शक्ति ) थी ..और मुहम्मद शक्ति मत को मानने और फ़ैलाने वाले ,
2. इस्लाम के आदम और ईव कोन कोन थे ?
# इस कथा के अनुसार राजा इल की आदम था और बो ही ईव … क्युकि आदम से ही ईव पैदा हुयी ऐसा इस्लाम और ईसाई मत है …और बाद में आदम और ईव (राजा इल ) को अपना देश छोडना देना ..इस मत को सिद्ध करता है
3. इस्लाम में हरा रंग क्यों ? चाँद और तारा क्यों ?
# इस्लाम में अपने पूर्वजो को पूजता है ये जग जाहिर है … हिन्दुओ में सब जानते है की नव ग्रह ने बुध एक ग्रह है और बो स्याम वर्ण और हरा रंग पहनते है ज्ञान के देवता कहलाते है .. लकिन उनके जन्म पर कुछ अजीब किस्सा है जिससे कुछ मुस्लिम हिन्दू धर्म को बदनाम करते है जब की ये इसके ही पूर्वजो की कहानी है … चंदमा के द्वारा देवताओ के गुरु ब्रस्पति की पत्नी तारा के संयोग से उत्पन्न हुए थे जिसके कारण आज भी मुसलमान चाँद तारा को देख कर अपना रोजा खोते है और ईद मानते है .. साथ ही अपने झंडो और धार्मिक स्थान में प्रयोग करते है
4. क्यों शेख लोग ओरत और मर्द दोनों को पसंद करते है ? क्यों शेख स्त्री जैसे बोलते और रहते है ?
# जैसा की इस कथा से जाहिर है की भगवान शिव ने उस क्षेत्र को स्त्री लिंग में बदल दिया था … ये बाद मे शुक्राचार्य(दत्यो के गुरु) जी के आने के बाद सब सही हुआ था अन्यथा तो सब स्त्री में था जिस कारण सभी में स्त्री अंश रह गया है
5. क्यों किन्नर अधिकतर मुस्लमान होते है ?
# कथा के अनुसार किन्नर की उत्पत्ति राजा इल के सेवको का स्त्री में हो जाने के कारण हुयी ..जिनको बुध ने उसी क्षेत्र (पर्वत के पास ) रहने को बोला था
भाइयो ये सत्य मैंने किसी धर्म का मजाक उड़ने के लिए नहीं बताया है .. मैंने केबल सत्य को सामने लाना चाहता हू ..आज हमारे हिन्दू समाज में ही बहुत से लोग राम और कृष्ण के साथ साथ सम्पूर्ण सनातन धर्म को बदनाम करने की सोचते है … इस कारण इस ग्रंथो को और राम , कृष्ण को कल्पनिक बता कर या कभी .. सत्य का मजाक उड़ा कर सत्य को छिपाने की कोशिस करते है लेकिन जो सत्य है तो सूरज की तरह है जो बदलो से कुछ समय के लिए कुछ लोगो से छिप सकता है सब से नहीं और नहीं ज्यादा देर तक … संतान धर्म तो उस गंगा , यमुना की तरह है जो निरंतर बहता रहत है ..और लोगो को सही राह दिखता है ..जो निर्मल और पवित्र है … जिसमे सादा ही परिवर्तन ..समय के अनुसार होते रहे है … जो वैज्ञानिक और अधात्मिक दोनों रूपों ने सिद्ध है … यहाँ मैंने एक कथा बुध के जन्म की सुनायी है जो पुराणों से है लेकिन इसका अर्थ भी कुछ और है।

65 विचार “प्राचीनतम इतिहास … श्री राम के द्वारा मुस्लिम की असलियत&rdquo पर;

  1. sirf tum jaise zaleel aur be izzat hinduon ki wajah se ham hind ke logon ka aapsi sauhard kam hota chala ja raha hai…………. lekin tum logo ke is jalanpan se hamara kya kisi ka kuch bigarne wala nahi hai……………tum log itni ghatiya aur ek tarfa baat bata ke andh vishvas utpannnn karne me lage ho ……………..tum sab yeh kriyakalap band karo………… allah ,,,,,,,,,,,,,tumhare shabdon me bhaaagwan ke kaher se daro……..

    1. किस सैहर्द की बात करते हो और किस मूंह से.. एक ऐसी किताब जो सिर्फ मार काट और काफिरों और मूर्तिपूजकों के संहार की बात करता हो उस अश्लील किताब पूजकों से सौहार्द की बात कुछ हजम ना होने वाली बात है..

      1. Bhai ji mai kisi ke dharm ko bura nahi kehta hu kyunki mera dharm sikhata hai agar koi kisi doosre ke dharm ko gaali de to wo musalaman nahi hai.
        Bhai aap hindu faimily mai paida huye ho aap isliye hindu mai mante ho mai muslime faimily mai paida hu isliye mai islaam mai manta hu.

        Agar aap muslime faimily mai paida hote to aap bhi islaam ko manne wale hote aur isi tara agar mai hindu faimily mai pada hota to shayad mai bhi hindu hota.

    2. Aap apne pandito se puchhiye ki bhagvat purana ke khand bhavisya purana mai purane samay mai 28000 something shlok thay jinme se ab sirf 14500 something hai baaki ke 50% kaha chale gaye.
      Yaa unhe jaan bujhkar hata diya gaya kyunki unme islaam dharm ki achhayia likhi hui thi aur unme islaam dharm ko apnane ka aagrah kiya gaya tha.

      1. भविष्यपुराण को किस ने जलाया आप को मालूम नही है । बहुत जल्दी आप भूल जाते हो कि ये कारनामा मुस्लिम आक्रान्ताओ ने किया था ।जैसे वो सोमनाथ मंदिर को तोड़ते थे उसी तरह सनातन धर्म के सारे लेख जो तक्षशिला में थे उसे जला दिया । कुछ भाग को छोड़ दिया गया।
        जो आज आप के सामने है।
        भारत के राजा बहुत दया वान थे जो आक्रान्ताओ को नही मरते थे युद्ध हर ने पर।
        पर आक्रान्ताओ ने कभी ऐसा न किया ।
        कभी भी सनातनि लोगो ने कभी किसी की धरती और सम्पदा पर कब्जा नही किया इस का पूरा विश्व गवाह है।
        ओर ब्रह्माण्ड में केवल एक ही धर्म है।
        बाकी सब पन्थ है जो धर्म से उत्पन्न हुए है।

  2. एक अच्छा प्रयास है सनातन धर्म को स्थापित करने का ।एक बात और जानने का प्रयास कीजिये कि जब भी कोई ब्यक्ती किसी धर्म में सुधार का प्रयास करता है तो वास्तव में उस समय वह धर्म विकृत ब्यक्तियों के हाथ में गुलाम हो चुका होता है। उस समय उपदेशक वास्तव में उस धर्म में उस काल में ब्याप्त गल्तियों को सुधार करने का प्रयास कर रहा होता है । मगर कालान्तर में उस उपदेशक के अनुयायी एक नये धर्म की उत्पति कर देते हैं अपने स्वार्थों की पुर्ती हेतु अपनी दुकान चलाने हेतु जैसे बौध धर्म जैन धर्म इत्यादी

  3. कितनी अजीब बात है जिस मजहब-ए-इस्लाम ने एक पराई औरत पर नजर डालने से मना किया जिस मजहब ने एक औरत को गलत नज़रों से देखना आँखों का जिना (व्यभिचार) करार दिया जिस मजहब ने औरतों और मर्दों को हुक्म दिया कि अपनी शर्मगाहों की हिफाजत करें और शादी से पहले एक मर्द एक औरत को और एक औरत एक मर्द को हाथ न लगाये ,जिस मजहब ने इस्लाम की तबलीग (प्रचार) के लिए गलत तरीकों को अपनाने को हराम करार दिया आज उस मजहब पर वो लोग लव जिहाद का इल्जाम आयद कर रहे हैं जोकि खुद अपनी औरतों को उनके शौहर की मौत पर जिन्दा जला देते हैं जो नियोग जैसे नापाक अमल को सही करार देते हैं और कहते है औरत नापाक है

    1. मजहब-ए-इस्लाम में परायी औरत पर नजर डालना हराम है… क्या मजाक किया है… जिस पैगम्बर को मानते हो उसी पैगम्बर ने आयशा को बस इसलिए अपनी बेगम बना लिया ताकि वो परायी ना रहे.. फातिमा के साथ बलात्कार इसलिए किया ताकि उसको हराम घोषित करवा अपनी निजी संपत्ति घोषित करवा सके… वाह जी वाह… आपके मजहब-ए-इस्लाम का कायनाती कारनामा

    2. जिंदा जलाने वाली प्रथा और मानसिकता बुरी है।
      हम घोर निंदा करते है किंतु आप यह बताने का कष्ट करें कि क्यो हलाला जैसी प्रथाएं कर बीबियों को 24 घंटो के लिए गैरमर्द को सोप दिया जाता है और औरतों के जनानांग काटे जाते है ?

  4. Bhai mujhe khali itna batado, Ki agar 0 ki khoj Arya bhatt ne ki or arya bhatt kalyug me paida huve to mahabharat me 100 kaurav or ramayan me ravan ke 10 sir ki ginati kisne ki????
    Or 1 baat or kahunga ki agar islam se or muslim desho se itni hi ghin aati he aap logo ko to kripya 1 sach che or dharmnisht hindu hone ke naate islamic desho se aane wala petrol, diesel aadi istemal karna chod de….

    1. चलो आप वो उदहारण दिखाओ जहाँ कहा गया हो की रावण के 10 सर थे या कौरव 100 भाई…

      तो मेरे शारजील उर्फ़ शुतुरमुर्ग जी… आपने अपने पिस्लाम और उस आसमानी गप्प किताब के अलावा अगर किसी अन्य शाश्त्र का अध्ययन किया होता तो पता होता की संस्कृत में 100 को शत और 10 को दशम कहा जाता है और संस्कृत में ही सहस्र कौरव और दशानन रावण कहा गया है

      समझ में आया हो तो ठीक नहीं तो काम वासना रूपी कुरान मुबारक हो आपको

  5. “0” Zero was not founded by Aryabhatt. No body know by whom and when founded. If you will go through PURANAS & VEDAS, you will know that “0” Zero is exist everywhere. Aryabhatt was great PANDIT and he has well knowledge of PURANAS & VEDAS. He just brought “0” to the world as required in mathematics and other many purpose by people during KALYUG start up. Please go through PURANAS & VEDA (Whole world history is available in these holy books). Please read thoroughly, I promise you will forget who are you (Hindu, Muslim or Cristian). You will just become SANATANI.

  6. Muhammd na hote khudaati na hoti khuda ne ye duniya basaai n hoti
    Kya baat karte ha insaaniyat k vo daavedaar jinke mazhab me baap or bhai ko khud beta aag laga kr jala deta hai
    Kya baat karen un logo ki jink poorvaj kisi ke mout pe uski patni ko jinda jala dete the
    Kya baat karte h un logo ki jinke eeshvar 36 karod ho
    Kya baat karen unki jinke bhagvaan ki muurti pe agr makhi bhi beth jaaye to use bhi nhi bhaga sakte
    Kya baat karen kare unki jo bivi ki behen saali ko aadhi gharvali bolte hain
    Kya baat kare unki jo ourato k adhikaron ki baat to karte hai lekin khud apni biviyon ko aish k liye istemaal jarke use bhog vilaas ki vastu kehte hai
    Kya kahe unko jo jaanvaro ki tarah khade khade peshab karte hai
    Kahan hamari barabri ki baat karte ho

  7. Tum logoko thodi sarm nhi ati jo har wakt hmare njhap ke piche pde hote he .Quki jo sachai Islam sikhata he wah kbi hinduone nhi sikhaya isliye log Hindu nhi bnte o Christian ya Islam syikar kartehe onko isme Sachi dikhtihe tum khase bhi kuch bkwas leke awo ge kuch nhi honewala log ye do mjhboko par kar te he tum khteho hmara mjhab pursna he to abhi log tume change wale Jada hone chahiye are bewkufo tume itna bhi paya nhi isa masiha or Muhammad ne ligoke dilope Raj Kiya isliye dunyake no.1 orno.2 ke mjhab he par kartehe Jo log Hindu se Islam ya Chrition muye o khte he Kash hme or jldi malum hota ki ye Hindu mjhab itna gnda or pstharo ko pujne Wala he insano ko pujta he samje gdho abhi ye bskwas krnese kuch nhi hota truth hone chahiye or tumhare pas kujbhi nhi he Islam ko jhuta thrane me Islam Sacha he isliye log is par kartehe he ham tum jese gadhe nhi Jo pathro ko puje isano ko puje ham to o ak good,allha ki ibadat kartehe nasamjo ye tum kotns bhi kho sachai badati nhi gdho gdehi rhoge

  8. Aapke liye भाई इस लेख को जब मै पढ़ रहा था तो शुरू में तो कुछ खौफ हुआ क्योंकि तर्क आपके काफी अच्छे थे मगर जैसे ही मैंने नीचे पढ़ा मुझे आपके इल्म पर शक हो गया….
    जैसे:अल्लाह कौन है,कलमे का अर्थ,मुस्लिम किन्नर क्यों होते हैं वगैरह….
    मुझे आपके कुछ अच्छे ज्ञान की तवक़्क़ो थी जैसा आपने लिखा है की आपके पूर्वज ज्ञान के पिता थे मगर बाद में आपने अबू जहल वाली हरक़त कर ही दी मिसाली तौर पर Opening बहुत अच्छी थी पर बाद में आपने पूरी Inning खराब कर दी जो आपके Match हारने का सबब बन गया….बहरहाल आपसे बस इतनी गुज़ारिश है कि आप तनक़ीद करें मगर तअस्सुब की बुनियाद पर नहीं क्यों ऐसे में अर्थ का अनर्थ हो जाता है यही काम हमारे मुस्लिम भाई भी करते हैं वो इतनी ज़्यादा मुहब्बत दिखा देते हैं की सबकुछ नबी को ही बना देते हैं जैसे ऊपर लिखा है कि क़ायनात नबी(सल्ल.) के लिये बनाई गई …
    (किसी क़ौम की दुश्मनी तुम्हे इस बात पर आमादा न कर दे कि तुम हक़ से हट जाओ:क़ुरान) इसलिये बीच का रास्ता अपनायें अपनी तहक़ीक़ में और इज़ाफ़ा करें…
    एक ही बात आपसे कहूँगा की इस्लाम का सनातन धर्म होना या उसकी मुशाबिहत हिन्दू धर्म से होना अच्छी और स्वाभाविक बात है हो सकता है हिन्दू धर्म ही आदिकालीन धर्म और वेद आदि धर्म ग्रन्थ हों इसमें कोई ऐतराज़ कि बात नहीं बल्कि कुछ विद्वानों का कहना है की आदम और हवा शायद मनु और सतरूपा थे और नूह के किस्से में भी वेदों के कुछ अंश हैं शायद वो भारत के ही इलाके के हों(वल्लाहो आलम) अहम् मसला ये है की दोनों बल्कि जितनी भी किताबें अल्लाह ने नाज़िल की उनकी शिक्षा क्या थी क्या एक ही शिक्षा थी या कुछ और उसमें ईश्वर की क्या कल्पना थी और इस बारे में जब हम गौर-ओ-फ़िक्र करते हैं तो पाते हैं की वाक़ई इनकी मुख्य शिक्षा एक ही है…
    सबसे अहम् की खुदा एक है उसे पहचानो और उसकी इबादत करो(जैसा उसकी इबादत का हक़ है)
    बहरहाल अपनी बात मै यहीं पर ख़त्म करता हूँ आपको जवाब देने की मेरी कोई नीयत नहीं थी सिर्फ कुछ बातों के लिये आपकी याददिहानी करना चाहता था कोई बात बुरी लगी हो तो माफ़ कीजियेगा….
    शुक्रिया
    अल्लाह आपको सही इल्म और दीन की हिदायत दे…
    आमीन

  9. वैसे तो अपने आप मे सम्पूर्ण जानकारी है ये , लेकिन इसने मेरे दिमाग को हिलाकर रख दिया सैकड़ो प्रश्न मन मे उठ रहे है कई जगह कुछ मतभिन्न भी है जिनका जवाब जरूर चाहूंगा

    आप हमें इस नम्बर पर कॉन्टैक्ट कर सकते है
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      1. tumne jo quran sharif ke baare apman janak batein ki
        aur mohammed s.a.w ke baare me batein ki
        plzz ap mafi khuda se maange
        nhi to apke aane wale samay me apko
        allah rabbulizzat apko jabaan se apahiz kr dega…….allah bahut meharbaan plzz maffi mange
        allah apko sahi raste me chalne ki hidayat de ……

  10. acha bahi ak bath btaao ap log hmesa murtiyo ki poza karte ho kha likha hai ki poza kro pattahr koi to bgavan ki asli sakal kha hai kya bgva ne apne beto ko kyo maara bgvan ne ak maa ke bete ko marme ke liye kyo kha ki uska sar mai apne bete pe lgaonga aur jo kta sar tha vo kha gya vo to malum hi nahi chla aur ap ke bgvan mai sabse bda bagvan kon hai kyo hr bagvan ke samne sar jhukate ho aur hr aadmi ke pair kyo chute ho kyoki vo bhi to sar jhukate ho ye sab sawal ke jawab do

  11. acchi kosis hai har dusrai dharmm ka insaan yhi karta hai kuch milltai hue sabd sai or pehlai ek sentence ko sambhana bta krr dimhe dhime paragraph likh jata hai abd last tkk bo jo sambhabana matra thi bo hakikat ho jati hai kise or kai dharmm k kuki iswarr kya hai y ham imagine bhi n kar saktai jinhaonai universe (bharmand) ki rachna ki use aap sochh nhi n saktai eswarr ek hai alag alag dharmm us ek saktii mai bisnaas rakhnai kai bass alag alagg tarikai hai

  12. भाई आपने जो लिखा पड्कर बहुत अच्छा लगा पर सोचने बाली बात यह है कि इस्लाम और ईसाई धर्म मैं कुछ तो अच्छा है जिसके कारण इस्लाम धर्म और ईसाई धर्म का विस्तार होता ही जा रहा है और हिंदू धर्म में कोई विकराल कमी है जिसके कारण लगातार सिकुड़ता ही जा रहा है आज हिंदू धर्म हिंदुस्तान में ही सिकुड़ता जा रहा है
    भाइयों एक समय पूरी दुनिया में सनातन धर्म का डंका बोलता था पर आज सनातन धर्म का कोई नाम तक नहीं लेता है सनातन धर्म खंड खंड होने का एक ही है वह है हिंदू धर्म एव हिंदू धर्म की मनुवादी प्रथाएं यह बात बिल्कुल सत्य है कि आज नहीं अगर ऐसा ही चलता रहा तो 1 दिन सनातन धर्म का नामो निशान मिट जाएगा और इसका कारण सिर्फ और सिर्फ हिंदू धर्म होगा मेरे अनुसार हिंदू धर्म सनातन धर्म कतई नहीं हो सकता जिस प्रकार हिंदुओं को इस्लाम बनाया जा रहा है उसी प्रकार ही सनातन धर्म को तोड़कर हिंदू धर्म की स्थापना की गई है जिसके कारण पूरी दुनिया से सनातन धर्म का अंत हो गया है बहुत जल्द पूरी दुनिया से हिंदू धर्म का भी अंत हो जाएगा मैं भी एक क्षत्रिय हूं यह मेरे स्वयं के विचार हैं हमारी टिप्पणी से किसी को ठेस पहुंचा हो तो मैं क्षमा प्रार्थी हूं

  13. अजीब मखलूक है यारो जिसे लोग इंसान कहते है…….
    आज फिर हम अपने दिल का एक सच बयान कहते है…….

    न ही फर्क एक तिनके का भी न ही खून का रंग कुछ और है……
    बस फर्क ये की किसी को लोग हिन्दू, तो किसी को मुसलमान कहते है……

    जाती पाती के नाम पर इंसान ने बेच दिया इस जहान को………
    कुछ इसे कृपा कहते है, कुछ इसे खुदा का फरमान कहते है………..

    हम तो सोच समझकर भी कुछ समझ नहीं पाते यारो…….
    कुछ ऐसी बाते ये नादान परिंदे, बेजुबान कहते है……………

    कोई पूजे पत्थर को, कोई सजदे में अपना सर झुकाते है……….
    ये एक ही है बस कुछ इसे पूजा, तो कुछ इसे अपना ईमान कहते है………

    एक ही रिवाज़, एक ही रसम, बस कुछ अंदाज़ बदल जाते है……..
    वरना एक ही है जिसे कुछ उपवास, तो कुछ रमज़ान कहते है……

    एक ही है सबकी मंजिल बस लफ़्ज़ों के तराने बदल जाते है दोस्तों……
    वो एक ही मुकाम है, जिसे कुछ स्वर्ग तो कुछ जन्नत का दरबार कहते है……

    कुछ जाते है मंदिरो में, कुछ मस्जिदों की राह अपनाते है……
    पर मक़सद तो सबका एक ही, जिसे लोग ख़ुशी की फ़रियाद कहते है…….

    वो एक ही हस्ती, एक ही वजूद है. जिसने ये सारा जहान बनाया है……
    फर्क इतना की कुछ उसे “खुदा” तो कुछ उसे “भगवान्” कहते है……

  14. आपकी पूरी Post ही आधार हीन है जिसका न कोई सर है न पैर सिर्फ आत्म प्रशंसा के लिये लिखा गया लेख है इस लेख में आपने जो कुछ लिखा है उससे स्पष्ट है कि न ही आप इस्लाम से वाकिफ़ हैं और न ही
    “वैदिक धर्म” से… बिना बहस के आपसे मेरा अनुरोध है सच जाने और सच ही बांटे…

      1. तर्क हो तो जवाब दूँ कुतर्क का जवाब नहीं दिया जाता मैंने कहा आपसे ये बातें आधारहीन हैं न समझी में कही गई बातें…फिर भी आपने पूछा तो कुछ बता देता हूँ बिना जीत या हार की सोच निष्पक्ष सोचियेगा नहीं तो जो लोग और पढ़ेंगे इंशाअल्लाह उन्हें हिदायत मिलेगी…..
        बात इतनी बड़ी है कि हर बात के जवाब के लिए मुझे बहुत लिखना पड़ जायेगा जिसपर मैं विश्वास नहीं करता कम बोल ज़्यादा मोल इस पर करता हूँ सारी बातों का सार सिर्फ इतना है कि इस्लाम ही सनातनी धर्म है जो सनातन से है पौराणिक है क्योंकी पुराण यानी पुराना है वैदिक नाम और पुराण(ग्रंथ) का नाम हिन्दू धर्म ने बाद में दिया है यहाँ तक कि हिन्दू शब्द खुद ही किसी धर्म विशेष को प्रदर्शित नहीं करता…इस्लाम का मतलब है शांति जो ईश्वर ने शुरू से कायम की बाद में लोगों ने इसे बुराइयों से भरा ओर अपने अपने नाम दिये आज भी सब यही मानते हैं कि ईश्वर के पास जाने का सब से अच्छा रास्ता शांत मन ही है…रही बात अल्लाह नाम की तो अल्लाह शब्द का मतलब है अल-इलाह अल इज़्ज़त के लिए होता है और इलाह मतलब इबादत के लायक पूजनीय…इला जो आपने कहा उस शब्द का अर्थ बताईये आप ओर इला अगर कोई देवी थी तो उसका संबंध अल्लाह से कैसे हो गया कोई समानता है अल्लाह और इला में(नौज़ुबिल्लाह)…काबा में गैर मुस्लिम के जाने पर रोक का कारण जो आपने बताया वो तो बिल्कुल ही हास्यप्रद है अगर कोई पोल ऐसी है वहा जिसे खुलने का डर है तो उसे तो मिटा ही देना चाहिये मुस्लिम वही रहते हैं उनके लिये क्या रोक है इस पर उन्हें कौन रोक रहा है उस सबूत को मिटाने में…हर काम उल्टा करने की बात तो सुनिये भाई काम उल्टा औऱ सीधा करने की बात नहीं सही और ग़लत की है और इसमें सबसे बड़ा फर्क ये है कि मूर्तिपूजक मूर्ति पूजा करता है जिसे इस्लाम मे रोका गया है बाकी सारे काम इसी अमल के इर्द गिर्द हैं…वैदिक धर्म और इस्लाम में बहुत सी समानताएं हैं जिन्हें धर्म के तथाकथिक लोग नहीं मानते इसी वजह से आपको इनमे मतभेद दिख रहा है जबकि जो लोग इसे समझते हैं वो भी सही आने की बजाये अपने अपने पंथ बनाकर बैठ गये हैं जैसे आर्य समाज जो वेद मानता है मूर्तिपूजा नहीं करता।।।बाकी बातें और भी हैं ज़्यादा विवरण चाहिये तो संपर्क करें…7987912974 ….धन्यवाद

  15. तुम्हारे दिल में मर्ज है जिसका इलाज तुमको कराना जरूरी है नहीं तो रोग बढ़ता जायेगा और
    अब ये न पूछना कि तुम्हें कैसे पता चला ये वैसे ही हुआ जैसे तुमको कैसे पता चला इतना बड़ा बवंडर बनाने मे मजा क्या है तुम जाहिलियत की एक जीती जागती मिशाल हो और फसाद फैलाना चाहता है
    तुम बेवकूफ तो आले दर्जे के हो ये तो तुम्हारे लेख से मालूम पड़ता है लेकिन तुम खड़ूस भी हो क्यों कि जब ये सब हो रहा था तब तुम वहाँ थे ??????????
    बस मन गढंत कहानी गढ़ता है तू एक कौड़ी का ज्ञान नहीं है चला आया ज्ञान बांटने

    1. तू बहुत बड़ा ज्ञानी है ना तो तर्क दे के ग़लत साबित कर.. और जाहिलियत की बातें तो उस आसमानी किताब को पढ़ने मानने वाले ना ही करे तो ठीक रहेगा.. और अगर तर्क नहीं तो अपनी बकवास और ये उस नंगे जहिल बूढ़े की उस गपोड किताब की उन हागिसो को ग़लत साबित कर…

  16. तेरे जैसे सब को बदनाम करते हैंतुम जैसे लोग जो नेताओं की बड़वा गिरी करते हैं और हिंदू मुस्लिमों का आपस में लड़ातभी तो हमारा हिंदुस्तान पीछे है तुम्हारे जैसे लोगों की वजह से हमारा हिंदुस्तान पीछे है जो नेताओं की भरवा गिरी करते हैं चमचागिरी करते हैं और tu होता कौन है मुस्लिमों की असली दिखाने वाला किसी ने बोला तुझसे भाईतुम्हारे जैसे लोग ही होते हैं जो दंगे फसाद कराते हैं

    1. बस यही तो कर सकते हो और सिर्फ़ यही सीखा ही है उस मदरसे में, जो तथ्य और आयत/सुरा का हवाला दिया गया है उसको आँखें बंद करके फ़ना कर दो, क्यूँकि धरती गोल की जगह चपटी है और बस यही सीखा और आज तक सीखाते आ रहे हो

  17. हिंदू मुस्लिम हम एक होकर रहेंगे तुम कितनी भी जोर लगा लेना तुम्हारे जैसे लोग कितने aye कितने गई लेकिन फिर भी हम nahi ldegay bahi अपना थोड़ा फेमस होने की वजह से तूने जो पोस्ट डाली है ना यह तुझे बहुत नुकसान पहुंचा सकती है

  18. मुझे आपकी यह जानकारी बहुत अच्छी लगी।
    हम भी इस्लाम धर्म के अस्तित्व का पहले से होने पर बिल्कुल नहीं मानते क्योंकि हिन्द (सनातन धर्म) शुरू से ही चला आ रहा है और इसके हर तरफ विस्तार होने के कारण मुस्लिम समाज इस धर्म को मिटाने की कोशिश करते हैं।

  19. बहुत अच्छा तर्क संगत विश्लेषण है। आप के तर्कों को कोई काट नही सकता ।
    सनातनी सिर्फ जन्म से हो सकते है ।सनातनि कोई बन नही सकता ।

    1. कितनी आसानी से चासनी में लपेटी हुयी बात कह दी.. वाह… आख़िरी लाइन जो है वो लिखा हुआ है उस शांतिप्रिय क़ौम के उस आसमानी किताब में.. पढ़िये… ज्ञान लीजिये… फिर बात करेंगे

  20. Acha kahni hai

    http://www.sachkaaina.com

    बड़े भाई ! मैं धार्मिक ग्रन्थों को पढ़ने में रुचि रखता हूँ मेरा उपदेश किसी व्यक्ति या धर्म को ठेस पहुंचाना नही बल्कि इस्लाम विरोधी को जवाब देना है वो भी उनके धार्मिक पुस्तकों से प्रमाण के था। जो कि इस्लाम पर ताना काशी करते है।उन्हें खुद नही पता कि उनकी धार्मिक ग्रन्थ में क्या लिखा है और उनकी मान्यता क्या है केवल उन लोगो को सच्च का आईना दिखाना है । धन्यवाद

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